अनुराग-ए-शायरी
सुर्ख़ मख़मली एहसास
शुक्रवार, 23 मई 2014
अनुराग-ए-शायरी
जिन्दगी कभी कभी बेकसूर
को भी सजा देती है
तब दिल बोल
उठता है---
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें